मुमकिन ना हुआ ----------------------------------------------- वो मेरी बात को कभी समझा ना था वो आईना था मगर दरका हुआ सा करुँ क्या बात मैं खुद अपनी ज़ुबाँ से किसी कि आस में कब से बैठा हुआ था वो मेरा था मगर मुझ से रूठा हुआ था जाने किस बात ने उसको रोका हुआ था परस्तिश कर सकूँ उसको कब हुआ था रिश्ता अहसास का जाने क्यों हुआ था वो मेरे सामने कभी यू आया ही नहीं था निगाहों से करें बातें मुमकिन ना हुआ था उसकी मेरी बातें सामने ही कब हो सकी थी मेरी उसकी हर एक बात पसे दीवार हुई थी आराधना राय ----------------------------------------- दरका -----चटका हुआ , पसे दीवार------------- दीवार के पीछे से। परस्तिश,,,,,,,,,,,,,,सज़दा , झुकना किसी के आगे Already published in vishwagatha 2015 jun
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.