ना पाया था
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वो उसका दर था जहा मैंने सर झुकाया था
ये अलग बात है वो मुझे देख ना पाया था
मेरी हर बात पहाड़े सी उसे ज़बानी याद थी
ये और बात है मुझे वो कभी कह ना पाया था
मेरे इकरार को इनकार उसने समझ लिया था
उसने मुड़ कर कभी हमें फिर देखा भी नहीं था
मेरी आँखों ने जाने क्यों उसका रस्ता निहारा था
ये और बात है उसे मेरे दिल ने बारहा पुकारा था
आराधना राय
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वो उसका दर था जहा मैंने सर झुकाया था
ये अलग बात है वो मुझे देख ना पाया था
मेरी हर बात पहाड़े सी उसे ज़बानी याद थी
ये और बात है मुझे वो कभी कह ना पाया था
मेरे इकरार को इनकार उसने समझ लिया था
उसने मुड़ कर कभी हमें फिर देखा भी नहीं था
मेरी आँखों ने जाने क्यों उसका रस्ता निहारा था
ये और बात है उसे मेरे दिल ने बारहा पुकारा था
आराधना राय
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