आभार गुगल अधेरे स्याह थे उस दिन सितारों को किसी ने आजमाया था किस्मत की बाज़ी पे कोई गोटी सही नहीं थी उस दिन वो ख़ाली हाथ घर आया था कहने - सुनने वाले लाखो थे जो उसे बचाता वो सितारा ना था ना उम्मीद सा वो अकेला शक्स नहीं था शमा को जला रोशनी करे यही उसकी फितरत में कभी नहीं था टूट कर मजबूर हो रो दे उसे मंजूर नहीं था दो निवालो के लिए बिक जाए फिर ना किसी को वो नज़र आए लाख चाहा मगर उसका दिल माना नहीं था आराधना राय अरु
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.