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Showing posts from April 15, 2015

प्रीत

प्रीत प्रेम का अटल शाश्वत रूप यही पाया शबरी के बेर प्रभू तू  ग्रहण कर आया मीरा कि प्रीत भी दीवानी सी कर पाया कृष्ण  रूप में प्रभू ही प्रीत सीखने आया नयन का सुख छीन क्या जगत कर पाया प्रभू कि प्रीत लिखने सूरदास रूप ही आया आराधना    

बातें नहीं होती

दिल कि धड़कन भी कभी जुदा नहीं होती तेरी याद भी मुझसे क्यों विदा नहीं होती सोच तेरे बिन मेरी खुशी खुशी नहीं होती हर लम्हा जी मैं तुम से अलग नहीं होती गुज़रते वक़्त के साथ यू कहानी नहीं होती मीरा इस तरह भी कभी दीवानी  नहीं होती रूहानी प्यार कि फिर बातें कभी नहीं होती बिछड़ के मिलने कि बातें  कभी नहीं  होती आराधना राय