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Showing posts from October 21, 2016

नज्म

ना तेरे साथ जिया ना तेरे साथ मरा ए चश्मेतर मरा तेरे इक वादे पर मरा कोई दामन हवा में लहराता हुआ चला एक दिल था तेरे वादा ए इकरार पर मरा जहन के लाखो अँधेरे एक तेरे नूर पर मरे  अकेला दिल था, तेरे लबओ रुखसार पर मरा नीद आती तो थोडा सा सो लेते हम तेरे दामन् पे जीते जी ना लगता जैसे आज फिर कोई तस्वुर मरा आराधना राय