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Showing posts from August 15, 2015

बात हुई

साभार गूगल कौन जानें क्या कब ये बात हुई तुझ से यूँ ही नहीं मुलाक़ात हुई कहीं जब झूम के गाता है सावन किसकी आँखों से ये बरसात हुई तन पे बारिश कि कैसी छींट पड़ी मन कि अपने आप से ये बात हुई रंग कच्चे होते तो निकल जाते युहीं ताउम्र ना निकले ये अज़ब बात हुई अब के बरसात में हलचल ख़ास हुई घर में "अरु" बिज़लियाँ मेहमान हुई आराधना राय "अरु" Rai Aradhana ©

आज़ादी के मायने

 साभार गुगल आज़ादी के मायने बदलने ज़रूर  चाहिए हमारे अपनों के नज़रिये बदलने  चाहिए   कुछ कर दिखाने का ज़ज़्बा होना चाहिये हालात बदलने का माद्दा होना तो चाहिए अँधेरी रातों को उज़ाले नये फिर चाहिए सोच कि "अरु"  तस्वीर उभरनी चाहिए Rai Aradhana © आराधना राय "अरु "