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Showing posts from May 20, 2016

ग़ज़ल

साभार गुगल तिरे गम में मिली जग हंसाई है दिल को राहत कब मिल पाई है जान मेरी जान पर बन आई है किस्मत में मिली हमें रुसवाई है ये तिश्नगी भी किसे रास आई है गम -ए  दिल ने पाई तन्हाई है मिरे चेहरे पे अजब रंगत छाई है आब ए हयात  बन तू मुस्कुराई है आराधना राय "अरु"

नज़्म

रोज़ खून से जिंदगी नहाती रही है दो निवालों के लिए बंटती रही है अंदर बाहर घर में पिसती रही है जिंदगी घाव सी तू रिसती रही है ज़िस्म में बस टीस सी उठ रही है बे बात कसौटी पर कसती रही है रात दिन  कसमसाती रह गई है इंतजार किस का करती रही है जिंदगी दो पाटों में बंटती गई है जिंदगी तू मुझे कहाँ मय्सर हुई है टुकडों - टुकड़ों में मिलती रही है आराधना राय "अरु"