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Showing posts from August 14, 2015

प्रयाण

हिमालय की चोटी आवाज़ देती है रगों में नया सा ये उन्वान देती है ---------------------------------------------- रातों को जग कर प्रहरी सा वो  अटल रहा जिसका सीना सदा ही देश के लिए सजा जिसका लहु गंगा सा बह कर पवित्र हुआ हे  वीर आर्येवत पर तुम सदा विजित रहो रण में शौर्य -पताका तुम फहराते ही रहो देख आसमां से कोई शत्रु फिर से आए ना कोई चिंगारी दिखा फिर अब भाग पाए ना सज़ग ,धीरता से अब तुम भी प्रयाण करो आराधना राय "अरु"