ताक़त-ए-बेदाद-ए-इंतिज़ार नहीं है हम सा कोई तेरा तलबगार नहीं है हयात-ए-दहर कि वफा पहले दिखाइए दिल मेरा उन अब तलक बेज़ार नहीं है क़त्ल का उसने मेरे इंतज़ाम ऐसा किया वो जानता था दिल मेरा उस्तुवार नहीं है मेरा दिल दिल ना था क्यों बेदर्द सा हुआ अब लोगों कि बातों पे मुझे एतबार नहीं है माना के रोने पे मेरा इख्तिआर नहीं है अब उसको मेरा पहले सा इंतज़ार नहीं है कहते है सितमगार मुझे लोग कुछ "अरु" उनके दिलों में अब बच...
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.