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Showing posts from March 28, 2015

आँख खुलने से पहले

आँख खुलने से पहले किसी दीदार से पहले आइना क्यू शरमाये हर वक़्त लगा तुम आये किसी का नाम लेकर  तुमने रो दिया होता बहूत था तेरा मिलना तेरा आना क्या कम था चले थे तीर और खंज़र  बिना ही बात  मारे मरे किसी कि आह में मरे किसी कि साँस में जिये