जल रही है क्यों हृदय में ये चिताएँ
क्यों बनी पर्याय जीवन कि व्यथाए
किसलिए है शोक से आक्रांत जीवन
क्यों घुमडती है सदा ग़म कि घटाए
हवन करते हाथ मेरे क्यों जले है
क्यों अतिथि बन आ गई घर आपदाएं
प्रश्न है सब से कोई उत्तर सुझाये
किस जगह जा कर बसे मृदु भावनाए
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