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اعتراف - Itiraf एतरफ (Confession )

         
    साभार    गूगल   इमेज               


    
                       नज़्म 

 एतरफ اعتراف Confession  

दिली एहतमाद है मुझे तुझसे जो है 

एक दूसरे का बस  एहतराम ,नहीं है

दिल ने दिल से कहीं, वो बात नहीं है 

तन्हाइयों के नाम मेरा पैगाम यही है

रुसवाईयाँ,शिक़वे गिले सब नज़र में है 
पर तुझ को छोड़ कर मंज़िल ही नहीं है 

मेरी दुनिया तेरी उम्मीदों से यूँ परे ही है  
वादे है ,हसींन मगर फ़रेब की तरह ही है  

ये दुनियाँ सरकश सी सराब की तरह यूँ है  

दिखता है क्या न पूछिये  बाजार ही तो है 
मायूस हूँ ,खुद से मगर ना उम्मीद नहीं हुँ 
ये हौसला इस जद्दोजहद में बाकी है दोस्त   ,

टूटेगा तेरा , इस्रार इक रोज़ तो मेरे ही आगे,
झुकता है कभी आसमां ज़मी के  कही आगे  

इस , ताबो , तपिश की भी ना  तासीर रहेगी ,
तद्बीर -ऐ -तब्बसुम फ़क़त रह जायेगा बाकी ,

ये मुझ को यकीं है,मेरी जान बस यही यकीं है 
कहता रहे ज़माना जो कहे "अरु " बात यही  है 
copyright : Rai Aradhana © 





محبت، تجھے بھی ہے. مجھے بھی ہے
ایک دوسرے پہ بس احترام نہیں ہے،
دل نے دل سے کہیں، وہ بات نہیں ہے
تنهايو کے نام میرا پیگام یہی ہے (احترام -respect
رسواييا، شقوے یہ گلے،
سب کچھ ہے نظر میں،
اب جائے کہو،
کوئی بتائے جكها،
میری دنیا بھی ہے،
تیری امميدو تلے.
تیرے وعدے بھی ہے،
هسين تیرے فریب
کی طرح،
تیری دنيا بھی ہے
سرکش، اک سراب کی طرح. (سرکش - Contumacious_)
                                                                                 (سراب miraj)
مایوس ہوں، میں تجھ سے مغر
مایوس نہیں ہوں
کچھ حوصلہ
باقی ہے
ابھی اس جدوجہد میں،
ٹوٹےگي تیرا، اصرار (اصرار = هٹھتا،)
ایک دن میرے آگے،

یہ، تابو، تپش
کی بھی نہ تاثیر رہے گی،
تدبير -ے -تببسم
رہ جائے گا باقی،
یہ مجھ کو يكي ہے،
فقط اتنا يكي ہے

Tulika غزل، گیت، نگمے، قصے کہانیوں کی دنیا
  






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गीत---- नज़्म

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आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

गीत हूँ।

न मैं मनमीत न जग की रीत ना तेरी प्रीत बता फिर कौन हूँ घटा घनघोर मचाये शोर  मन का मोर नाचे सब ओर बता फिर कौन हूँ मैं धरणी धीर भूमि का गीत अम्बर की मीत अदिति का मान  हूँ आराधना