घर भले ही खाली हाथ आ जाना
गुज़रा वक्त तूम साथ ले आना
हमने जाना नही तुमने माना नहीं
कब हुई दोस्ती हमने पहचाना नहीं
आसमान मेरे सर पर हमेशा रहा
छांव एक टुकड़ा सही संग ले आना
जब भी आना मेरे घर तूम ही आना
सोई सी इस नज़्म को बोल दे जाना
आराधना राय "अरु"
गुज़रा वक्त तूम साथ ले आना
हमने जाना नही तुमने माना नहीं
कब हुई दोस्ती हमने पहचाना नहीं
आसमान मेरे सर पर हमेशा रहा
छांव एक टुकड़ा सही संग ले आना
जब भी आना मेरे घर तूम ही आना
सोई सी इस नज़्म को बोल दे जाना
आराधना राय "अरु"
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