साभार गूगल इमेज
न गाड़ी न बगला न मोटर न कार
कहीं एक मकां को तेरे दर के पास।
हँसी खेलती हो मखमली दूब पर
खिलती हो कलियाँ कहीं धूप पर।
बरसती हो सावन की ठंडी फुहार
झिलमल पानी कि कही से आवाज़।
ना दिन कि ख़बर ना रात कि उदासी
चले ए -खुदा अब तेरे दर के पास।
आराधना
Comments