अलख जगाये
======================
अपने नयन खुवायें
अपने नयन खुवायें
आज पी ही लुभाये
सखी मुझे पी बुलाए
जिया मेरा क्यू हर्षाए
सोवत जागत ही तुम
संग जन्म ही बिताये
ये जग बैरन है साधु
ड़ोर ही अब छूटी जाये
आराधना *
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.
Comments