आराधना * बाबा नागा अर्जुन और कबीर जी के जन्म विशेष पर
--------------------------------------------------------
नमन करुँ उस प्रवीण आत्मा को
उससे उपजी गहरी सी साधना को
दे रहे कबीर भी अपनी ओज वाणी
नागार्जुन जगा रहे थे समाज वाणी
समाज रहेगा सदा ही अनुग्रह ऋणी
हिंदी भाषा ने पाई थी समृद्धि धनी
सूर्ये भी यहाँ झुके नतमस्तस्क हो
कर्म पथ के वीर बात करते गंभीर
आराधना
Comments