नज्म चेहरा
तेरा चेहरा मुझे रकीब सा लगता है
दूर होकर भी करीब सा लगता है
दिल जल कर सुलग नहीं उठता है
आज़माता हुआ गरीब सा लगता है
दहर की आग में शहर जलता है
कैसा रिश्ता तुझ से मेरा लगता है
सताए हुए है चोट दिल पर लगी है
ना जाने कौन ये मुझ पे हँसता है
आराधना राय "अरु"
दूर होकर भी करीब सा लगता है
दिल जल कर सुलग नहीं उठता है
आज़माता हुआ गरीब सा लगता है
दहर की आग में शहर जलता है
कैसा रिश्ता तुझ से मेरा लगता है
सताए हुए है चोट दिल पर लगी है
ना जाने कौन ये मुझ पे हँसता है
आराधना राय "अरु"
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