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ज़ख़्म फिर से दिल के हरे क्यू हो गए
वो जो कब तलक ही सूख जाने वाले थे
बरसों हम उन के लिए क्यू जी लिए
अगर वो हम से रूठ के जाने वाले थे
मेरे क़ातिल को पता था मेरा भी मकां
उस से बच कर कब निकलने वाले थे
अजीब बात थी वो शख़्स भी सौदाई हुआ
कल तलक जिस बाज़ार में बिकने वाले थे
आराधना राय
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