आहुति
उठ रही है ,मन में क्यू चिताएं ।
अतिथि बन घर आ गई क्यों आपदाए।
प्रश्न है ,सब से कोई उत्तर सुझाए।
किस जगह जा कर बसे , मृदु भावनाए।
रुदन कर रही है , सब दिशाए ।
अवसाद में जन्मी सभी गाथाये ।
शोर्ये की, आहुति दे ,चुप है सभाए ।
मौन हो गई जहां पर , मानवताए ।
भस्मीभूत, है, क्षितिज की आशाएं ।
आराधना उर्फ़ तूलिका
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