जो कहता है उसे कहने दे ,
वक़्त के दरिया में बहने दे ,
आज कहे तो हालत बदल दे
मोजों को तो पल में बदल दे
अँधेरा जब इतना बढ़ जायेगा
सामने कुछ न नज़र आएगा
सोच बन के जो निखर जायेगा
राहत-ए -वस्ल को वही पायेगा
अपने वादों का जिसको कौल नहीं
इमां भी उसका फिर ईमान नहीं
इंसान ऐसा भी अब क्या होगा
जिसका रहबर खुदा नहीं होगा
@आराधना कॉपी राइट
Comments