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गम



साभार गूगल





यू ही मिटने के लिए
और मिटाने के लिए

हसरतें जां क्यू  रहेगी
क्या तुझे पाने  के लिए

मांगा क्या मिल गया
उम्र निभाने के लिए

यू ही एतरफ किये जा
खुद को भुलाने के लिए

अब भी मदहोश किय जा
है आये तुझे पाने के लिए

दिल में है यू ही वो जले
गम -ए  यादों के लिए

अब ये ग़फ़लत ही सही
एक तुझे पाने के लिए

कुछ ना कह सके हम
उनको बताने के लिए

माना मज़बूर मेरे  हालात
 बहुत से  रहे होंगे "अना"

आराधना            अना"  माने respectful use as pen name







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आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

गीत---- नज़्म

आपकी बातों में जीने का सहारा है राब्ता बातों का हुआ अब दुबारा है अश्क ढले नगमों में किसे गवारा है चाँद तिरे मिलने से रूप को संवारा है आईना बता खुद से कौन सा इशारा है मस्त बहे झोकों में हसीन सा नजारा है अश्कबार आँखों में कौंध रहा शरारा है सिमटी हुई रातों में किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"

गीत हूँ।

न मैं मनमीत न जग की रीत ना तेरी प्रीत बता फिर कौन हूँ घटा घनघोर मचाये शोर  मन का मोर नाचे सब ओर बता फिर कौन हूँ मैं धरणी धीर भूमि का गीत अम्बर की मीत अदिति का मान  हूँ आराधना