धुप के गावं में
है बसेरा मेरा
हर साया है मेरा
हम साया मेरा
बागवा को ना
कभी भरमाइए
रंग रूप चेहरा
मुक्मिल है
सब का यहाँ
रोज़ बातों से
मेरा दिल यूँ
ना बहलाइए
ये दीवानगी मेरी
कभी जाची नहीं
इस पर अपना
मुल्लाम्मा
ना चढ़ाइए
आराधना राय
है बसेरा मेरा
हर साया है मेरा
हम साया मेरा
बागवा को ना
कभी भरमाइए
रंग रूप चेहरा
मुक्मिल है
सब का यहाँ
रोज़ बातों से
मेरा दिल यूँ
ना बहलाइए
ये दीवानगी मेरी
कभी जाची नहीं
इस पर अपना
मुल्लाम्मा
ना चढ़ाइए
आराधना राय
Comments