एक नजर मैं भी पाना चाहती हूँ--- गज़ल अपनी पूर कहना चाहती हूँ----------
गीत बन कर लब पे आना चाहती हूँ
मुस्कुरा कर तुझ को पाना चाहती हूँ
चाक दामन कर अपना क्या दिखाऊँ
इश्क़ रब है नहीं आज़माना चाहती हूँ
राज़ ए दिल अपना बताना चाह्ती हूँ
अश्क तेरे कांधो पर बहाना चाहती हूँ
तेरे आँगन मे दिया अपना जला कर
रोशनी बन तिरे घर में आना चाहती हूँ
तेरे सजदे में खुदाया आकर गिरा हूँ
दुआ बन के लब पे आना चाहती हूँ
सारी दौलत इक तरफ रखकर "अरु"
माँ के आँसू रोज़ पीना चाहती हूँ
गीत बन कर लब पे आना चाहती हूँ
मुस्कुरा कर तुझ को पाना चाहती हूँ
चाक दामन कर अपना क्या दिखाऊँ
इश्क़ रब है नहीं आज़माना चाहती हूँ
राज़ ए दिल अपना बताना चाह्ती हूँ
अश्क तेरे कांधो पर बहाना चाहती हूँ
तेरे आँगन मे दिया अपना जला कर
रोशनी बन तिरे घर में आना चाहती हूँ
तेरे सजदे में खुदाया आकर गिरा हूँ
दुआ बन के लब पे आना चाहती हूँ
सारी दौलत इक तरफ रखकर "अरु"
माँ के आँसू रोज़ पीना चाहती हूँ
आराधना राय अरु
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