साभार गुगल
नज़्म------------
मिट्टी में पल रही है हसीन जिंदगानी
कंधो पे उसके है कितनी ज़िम्मेदारी
कंधो पे उसके है कितनी ज़िम्मेदारी
वक्त ने दिखाई हमको अजब हक़ीकत
जो जानते है सब कुछ उनसे हुई दुश्वारी
जो जानते है सब कुछ उनसे हुई दुश्वारी
तुम मानो या ना मानो हमको यही यकीं है
अपनों में रह कर तूम कुछ कर लो पर्दादारी
अपनों में रह कर तूम कुछ कर लो पर्दादारी
जो साथ तेरा निभा दे बावफा के बेवफ़ा है
रखना साथ उसके तू थोड़ी सी ईनामदारी
रखना साथ उसके तू थोड़ी सी ईनामदारी
आराधना राय "अरु"
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