तिरे गम को चुप चुप हम पीते है
दिल के खून से अपने मुहँ धोते है
बड़े नाज़ से उठाए जिन के नखरे
बिछड कर उन से आज हम रोते है
रंज इतने ना थे जिन पर दिल रोया
रूठ कर जितने हम हबीबो को खोते है
उठ कर चले जाते बज़्म ए गम से तेरी
मुड़ कर ना पूछते तिरे गम क्यों ढोते है
आराधना राय अरु
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