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स्रृष्टि , जब भक्ति बन गई
जगत जलचर सभी शुभ हो जायेंगे
राम कि अयोध्या , जीवन हो जाएगे
श्याम और राधा का प्रेम यही पायेगे
विश्व जब सद भावना के लिए
विश्व -बंधुत्व दिवस बन जाएगा
कोई एक दूसरे से अलग कैसे रह पायेगा
गायन , वादन , नृत्य से
कला देवी शारदा कोजब पाएगे
राम -राज्य बन साकेत
सा जीवन यही हो जायेगा
प्रेम कि धारा ,सूर्ये कि शक्ति भी आएगी
जब जीवन तू स्वयं शिव सार्थक हो जायेगा
तब पार्वती को शिव राधा को कृष्ण पाकर
गणेशं कि मंगल कामना से
हर घर जगमगाएगा
उस दिन ईश्वर तू धरती
पर उत्तर आएगा
जीवन उन्नत शिखर हो जायेगा।
पूर्ति स्वयम ईश्वर वसुंधरा का हो जाएगा
स्त्री- पुरुष से ,सृष्टि करेगी,अपना श्रिंगार
जीवन निरंतर धीरे धीरे आएगा
,सुर का सुरेश्वर ,महेश्वरि भी अपनाएगा
"अरु " का जीवन सुरभित हो जाएगा
आराधना राय
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