मन की भूमि
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उपज रहा मन की भूमि पे
विप्लव अंकुर का ही धान
किस पे बाड़ लगा रोकोगे
कैसे बचा पाओगे सम्मान
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भूखा पेट राम ना क्या जाने
रवि और रंजन की बात यहाँ
कोडी और छदाम क्या जाने
अश्रू बहे, तन का लहू बहे यहाँ
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उपज रहा मन की भूमि पे
विप्लव अंकुर का ही धान
किस पे बाड़ लगा रोकोगे
कैसे बचा पाओगे सम्मान
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भूखा पेट राम ना क्या जाने
रवि और रंजन की बात यहाँ
कोडी और छदाम क्या जाने
अश्रू बहे, तन का लहू बहे यहाँ
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नारी की लज़्ज़ा की बात कहूँ
माँ के उधड़े तन को देख कर
कौन सा मनुज है जो ये कहे
तेरा मुझसे क्या नाता है कहूँ
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माँ के उधड़े तन को देख कर
कौन सा मनुज है जो ये कहे
तेरा मुझसे क्या नाता है कहूँ
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बाँझ रहे मन क्या किस से कहे
बोझ बेमानी क्यों स्वयं पे धरे
तरु उखड़ते भू पर क्या गिरे
झंझावातों से जो प्रतिदिन लड़े
बोझ बेमानी क्यों स्वयं पे धरे
तरु उखड़ते भू पर क्या गिरे
झंझावातों से जो प्रतिदिन लड़े
आराधना राय "अरु"
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