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एहसास

मेरे एहसास के हिस्से है
जो बिखर गए है नसीबों की तरह

समेटे उनको यूँ क्या
जो रह गए है मेरे ज़ज़्बातो की तरह

तेरी बातों से दुनियाँ  दीवानी होगी
मेरी तो दिल में बसी है धड़कनों की तरह

नज़र झुका के बैठें है राहों में
कभी तो गुज़रोगे तुम इन राहों पे ख़ुदा की तरह

ये मुकाम मेरा न तुम्हारा होगा
 'अरु  '  अर्श की बात वही है इस ज़मी की तरह
आराधना राय 'अरु '


میرے احساس کے حصے ہے
جو بکھر گئے نصیبوں کی طرح

سمیٹے ان یوں کیا
جو رہ گئے میرے ذذباتو کی طرح

تیری باتوں سے دنیا دیوانی ہوگی
میری تو دل میں بسی ہے دھڑكنو کی طرح

نظر جھکا کے بیٹھیں ہے راہوں میں
کبھی تو گذروگے تم ان راہوں پہ خدا کی طرح

یہ مقام میرا نہ تمہارا ہوگا
  'ار' عرش کی بات وہی ہے اس ذمي کی طرح
ارادھنا رائے 'ار'





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नज़्म

अब मेरे दिल को तेरे किस्से नहीं भाते  कहते है लौट कर गुज़रे जमाने नहीं आते  इक ठहरा हुआ समंदर है तेरी आँखों में  छलक कर उसमे से आबसर नहीं आते  दिल ने जाने कब का धडकना छोड़ दिया है  रात में तेरे हुस्न के अब सपने नहीं आते  कुछ नामो के बीच कट गई मेरी दुनियाँ  अपना हक़ भी अब हम लेने नहीं जाते  आराधना राय 

ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

नज़्म

 उम्र के पहले अहसास सा कुछ लगता है वो जो हंस दे तो रात को  दिन लगता है उसकी बातों का नशा आज वही लगता है चिलमनों की कैद में वो  जुदा  सा लगता है उसकी मुट्टी में सुबह बंद है शबनम की तरह फिर भी बेजार जमाना उसे लगता है आराधना