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बहते धारे में

वक़्त के बहते धारे में
हालत अक़्सर बदल ही जाते है

एक बून्द है हम पानी की
अक्स बदल कर बहते ही जाना है


ख़ामोश हो चुके कहने वाले
जो थे ज़िन्दगी को ज़ुबान देने वाले

आज मेरा कल तेरा बहाना है
'अरु' ज़िन्दगी को किसने अभी जाना है
आराधना राय "अरु "
Rai Aradhana ©


وقت کے بہتے دھارے میں
حالت اقسر بدل ہی جاتے ہیں

ایک بوند ہے ہم پانی کی
عکس بدل کر بہتے ہی جانا ہے


خاموش ہو چکے کہنے والے
جو تھے زندگی کو زبان دینے والے

آج میرا کل تیرا بہانہ ہے
'ار' زندگی کو کس نے ابھی جانا ہے
ارادھنا رائے "ار"
Rai Aradhana ©

خراب
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नज़्म

अब मेरे दिल को तेरे किस्से नहीं भाते  कहते है लौट कर गुज़रे जमाने नहीं आते  इक ठहरा हुआ समंदर है तेरी आँखों में  छलक कर उसमे से आबसर नहीं आते  दिल ने जाने कब का धडकना छोड़ दिया है  रात में तेरे हुस्न के अब सपने नहीं आते  कुछ नामो के बीच कट गई मेरी दुनियाँ  अपना हक़ भी अब हम लेने नहीं जाते  आराधना राय 

ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

नज़्म

 उम्र के पहले अहसास सा कुछ लगता है वो जो हंस दे तो रात को  दिन लगता है उसकी बातों का नशा आज वही लगता है चिलमनों की कैद में वो  जुदा  सा लगता है उसकी मुट्टी में सुबह बंद है शबनम की तरह फिर भी बेजार जमाना उसे लगता है आराधना