गुलों से ना पूछ तू यू ही मुस्कुराने का सबब
उन की फ़ितरत ही कुछ ऐसे नसीब की होती है
फिज़ा उन से महके बस ये ख़्वाहिश है उनकी
चंद लम्हों में उनकी ये हसरत भी पूरी होती है
सबा हँसा कर जाती है ये मालूम है उनको भी
एहसास के लम्हों कि उम्र "अरु " कम होती है
आराधना राय "अरु"
Aradhana ©
---- ------------------------------------
सबा - breez , हवा
Comments