एहतमाद के काबिल ना थे उनका ख्याल किए
दिलों में नश्तर चुभा के सौ सवालात किए
तेरी पनाह में झुक कर सज़दे हज़ार किए
उससे जीने के वादे हमने हज़ार किए
वफ़ा कि बातें हमारी ज़ानिब से बार-बार किए
क़त्ल कि रात हर लम्हा हमारा इंतज़ार किए
उसी के नाम का सदका हज़ार बार किए
उसी को खुदा मान कर सौ- सौ काम किए
अज़ीम ग़ैरत रही जिन्होंने सवालात किए
अज़ीब बात है "अरु " तुझसे हर सवाल किए
आराधना रायदिलों में नश्तर चुभा के सौ सवालात किए
तेरी पनाह में झुक कर सज़दे हज़ार किए
उससे जीने के वादे हमने हज़ार किए
वफ़ा कि बातें हमारी ज़ानिब से बार-बार किए
क़त्ल कि रात हर लम्हा हमारा इंतज़ार किए
उसी के नाम का सदका हज़ार बार किए
उसी को खुदा मान कर सौ- सौ काम किए
अज़ीम ग़ैरत रही जिन्होंने सवालात किए
अज़ीब बात है "अरु " तुझसे हर सवाल किए
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