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क्या था

aye aru"
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 hume khud se koi bhi vasta na tha
 zindagi main koi bhi rasta na tha

 rahe lambi thi bhut lambi thi mager
 mujhe suraj ka yu vasta hi na  tha

khoye khud hum apne main yu kahi
hame andhero main rasta  na  tha

ruh pyasi rahi sadiyao tak yu hi kahi
inn uzalo se mera kabhi vasta na tha

sapne ankho main yu hi palte kyu rahe
hamko in khwabo se vasta  na tha

yu tera ruk ker chalan kahta tha kabhi
 "aye aru" rasta main koi mila na tha

 क्या था
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हमें खुद से कोई भी वास्ता क्या था
ज़िंदगी में कोई रास्ता ना था

राह लंबी थी बहुत लंबी थी  मगर
उसको सूरज से वास्ता ना था

खोए यू कहीं खुदा अपने में हम कही
हमें अंधेरों में रास्ता ना था

रूह प्यासी रही सदियों तक कहीं
इन उजालों से "अरु"  वास्ता  ना था

copyright : Rai Aradhana ©
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सपने आँखों में जो यू पलते ही क्यू  रहे
हमारा ख़्वाबों से भी वास्ता यही मिला

तेरा रुक के चलना और घबराना यू कभी


 














meri raho main shool ban ke chubhe
teri raho main bhi phool mahkege kahi

yu ager zindagi ka silsila ho gaya hota
 aru  zindagi main andhera ho gaya hota




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गीत---- नज़्म

आपकी बातों में जीने का सहारा है राब्ता बातों का हुआ अब दुबारा है अश्क ढले नगमों में किसे गवारा है चाँद तिरे मिलने से रूप को संवारा है आईना बता खुद से कौन सा इशारा है मस्त बहे झोकों में हसीन सा नजारा है अश्कबार आँखों में कौंध रहा शरारा है सिमटी हुई रातों में किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"
आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

नज्म चाँद रात

हाथो पे लिखी हर तहरीर को मिटा रही हूँ अपने हाथों  से तेरी तस्वीर मिटा रही हूँ खुशबु ए हिना से ख़ुद को बहला रही हूँ हिना ए रंग मेरा लहू है ये कहला रही हूँ दहेज़ क्या दूँ उन्हें मैं खुद सुर्ख रूह हो गई चार हर्फ चांदी से मेहर  के किसको दिखला रही हूँ सौगात मिली चाँद रात चाँद अब ना रहेगा साथ खुद से खुद की अना को "अरु" बतला रही हूँ आराधना राय "अरु"