दुःख
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तुम से बात ना हो पाने का दुःख
ना जाने कैसे सह गई
तुम्हारे सपनों को बिसर जाने का दुःख
मौन हो सह गई ,
ना जाने कहाँ किस मोड़ पर ज़िंदगी
तेरे लिए ही रह गई
हादिसे दरकिनार करती गई ज़िंदगी
और में दरिया सी बह गई
"अरु" तेरे बगैर कुछ भी कहीं ना थी
सोचती हूँ ना जाने कैसे जी गई
ना जाने कैसे सह गई
तुम्हारे सपनों को बिसर जाने का दुःख
मौन हो सह गई ,
ना जाने कहाँ किस मोड़ पर ज़िंदगी
तेरे लिए ही रह गई
हादिसे दरकिनार करती गई ज़िंदगी
और में दरिया सी बह गई
"अरु" तेरे बगैर कुछ भी कहीं ना थी
सोचती हूँ ना जाने कैसे जी गई
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