सौ बार मर कर जीये फिर एक बार कभी
मेरा नहीं तो कर अपना ही एतबार तू कहीं
तेरे लिए इस जहां मे रुकी वो बहार हूँ अभी
आएगी रास तुझको भी मेरी दीवानगी कभी
तेरा दामन जो मेरे हाथ से छूटा जो फिर कभी
जी कर भी ना जी पायेंगे जन्मों हम फिर कहीं
अज़ीब बात है कोई बादल नहीं बरसा ऐसे कहीं
ज़मीं प्यासी भी रही होगी "अरु" ना ऐसे कभी
आराधना राय
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