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देखे कोई



देखे कोई

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मैं रास्ता नहीं कि गुज़र गया कोई
उम्र कि दहलीज़ पर छोड़ गया कोई

कुछ तो तेरा मेरा वास्ता होगा कोई
सदियों तक इंतज़ार नहीं करता कोई

रूह से रूह का फासला यू हुआ है कोई 
जो तेरे मेरे दरम्यान आ गया है कोई

उम्मीद दिल से ही लगता है फिर कोई 
बात जो रह गई वो ही बताता है यू कोई

साथ  ये छूटने वाला कहाँ है  देखे कोई
हँस के कह दी है बात "अरु" तुमने कोई

आराधना राय
                     





دیکھے کوئی

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میں راستہ نہیں کہ گزر گیا کوئی
عمر کہ دہلیز پر چھوڑ گیا کوئی

کچھ تو تیرا میرا واسطہ ہوگا کوئی
صدیوں تک انتظار نہیں کرتا کوئی

روح سے روح کا فاصلہ یو ہوا ہے کوئی
جو تیرے میرے درمیان آ گیا ہے کوئی

امید دل سے ہی لگتا ہے پھر کوئی
بات جو رہ گئی وہ ہی بتاتا ہے یو کوئی

ساتھ یہ چھوٹنے والا کہاں ہے دیکھے کوئی
ہنس کے کہہ دی ہے بات "ار" تم نے کوئی

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गीत---- नज़्म

आपकी बातों में जीने का सहारा है राब्ता बातों का हुआ अब दुबारा है अश्क ढले नगमों में किसे गवारा है चाँद तिरे मिलने से रूप को संवारा है आईना बता खुद से कौन सा इशारा है मस्त बहे झोकों में हसीन सा नजारा है अश्कबार आँखों में कौंध रहा शरारा है सिमटी हुई रातों में किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"
आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

नज्म चाँद रात

हाथो पे लिखी हर तहरीर को मिटा रही हूँ अपने हाथों  से तेरी तस्वीर मिटा रही हूँ खुशबु ए हिना से ख़ुद को बहला रही हूँ हिना ए रंग मेरा लहू है ये कहला रही हूँ दहेज़ क्या दूँ उन्हें मैं खुद सुर्ख रूह हो गई चार हर्फ चांदी से मेहर  के किसको दिखला रही हूँ सौगात मिली चाँद रात चाँद अब ना रहेगा साथ खुद से खुद की अना को "अरु" बतला रही हूँ आराधना राय "अरु"