खालिश
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मेरे हिस्से में आई कड़ी धुप थी
चाँद रातों कि कहीं सौगात न थी
मेरे दामन से भी वो बच कर चला
बदनामी कुछ मेरे साथ कम ना थी
थी खालिश दिल में तेरी ही यादों कि
बातों कि वो चुभन साथ ही मेरे थी
मेरे दीवानेपन पर यू ही हंस दिए थे
इज़ाफा रुसवाई का "अरु" कर रहे थे
आराधना राय
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मेरे हिस्से में आई कड़ी धुप थी
चाँद रातों कि कहीं सौगात न थी
मेरे दामन से भी वो बच कर चला
बदनामी कुछ मेरे साथ कम ना थी
थी खालिश दिल में तेरी ही यादों कि
बातों कि वो चुभन साथ ही मेरे थी
मेरे दीवानेपन पर यू ही हंस दिए थे
इज़ाफा रुसवाई का "अरु" कर रहे थे
आराधना राय
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