दूर से सुनते है आहट तेरे ही आने की
ज़िंदगी कि ये भी अदा है मुस्कुराने की
अब भरम का भी भरम नहीं मुझको
तू मेरा अक्स है ये बात नहीं बताने की
काँटों पे चलना है और जीना है मुझको
मुझे पता है क्या चाल है इस ज़माने की
तुम करोगे जब भी बात इस ज़माने की
हम भी आग़ाज़ करेंगे किसी फ़साने की
कॉपी राइट @ आराधना राय
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