जाने क्यों फिर जान पर बन ये आई है
कोई पहचान है या अज़नबी कोई आई है
कहती है सालों से मेरा उसका रिश्ता है
फिर हाय -तौबा सी क्यों उसने मचाई है
किस बात का शिकवा है बताने वो आई है
साँस लेते है तो उफ सी निकल ही आई है
ज़िन्दगी बहाने से फिर पूछने क्यू आई है
दिल के साज़ो -सामान से बहलाने आई है
आराधना राय
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