किस कि क्या यू भी खता थी
सज़ा कौन सी ये वो सह गया।
बात कुछ भी ना उनसे यू हुई थी
हंगामा सा हर तरफ क्यों हो गया।
तेरे शहर में हो कर हम गुमनाम थे
तुझ से यू भी हम कभी अनजान थे
बिन कहे ये भी क्या फ़साना हो गया
तेरी अदा पे हर कोई दीवाना हो गया
कहने को वो फ़क़त बस ग़ैरो सा ही था
उसका मेरे दिल में ठिकाना सा हो गया
रिश्ता कुछ ना था उससे वो मेरा हो गया
अपनों से भी बढ़ कर वो अपना हो गया
आराधना राय
सज़ा कौन सी ये वो सह गया।
बात कुछ भी ना उनसे यू हुई थी
हंगामा सा हर तरफ क्यों हो गया।
तेरे शहर में हो कर हम गुमनाम थे
तुझ से यू भी हम कभी अनजान थे
बिन कहे ये भी क्या फ़साना हो गया
तेरी अदा पे हर कोई दीवाना हो गया
कहने को वो फ़क़त बस ग़ैरो सा ही था
उसका मेरे दिल में ठिकाना सा हो गया
रिश्ता कुछ ना था उससे वो मेरा हो गया
अपनों से भी बढ़ कर वो अपना हो गया
आराधना राय
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