आज ना जाने क्यू मुंशी प्रेम चंद कि ईदगाह याद आई
हमीद तेरे चिमटे मांगी हो कोई दुआ कही याद हो आई
माँ तेरे प्यार से भीगा मेरा ही आँचल ये ही सदा बस आई
कैसा भी रहा हो मैला आँचल बस बात इतनी समझ आई
नारी तेरा जीवन कैसा भी हो जब तुझ में कहीं माँ नज़र आई
तू मुझे बस यशोदा , कौसल्या ,अनुसूइया , अंजनी नज़र आई
कालकोठरी में देवकी सी , माताजगत जननी ही तू ही कहलाई
रंभा , हो या मेनका , ऊर्वशी भी तो कहीं जा कर माँ ही कहलाई
आराधना राय
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