साभार गुगल इमेज़
जहा से उम्मीद राहत की कभी पाई है
वही जा कर ही ये चोट भी हमें क्यू आई है
तेरे झूठ से भी हमें कभी परहेज़ जब ना था
क्यू सच से अब इस जान पर बन सी आई है
उन्हें ही गवारा नहीं किया जब ये साथ मेरा
हाल -ए -दिल किस से कहे जो है ये तन्हाई है
हमने हर हाल में चलने की फिर कसम खाई है
ना जाने क्यू ये ज़िन्दगी हम से ही शरमाई है
कॉपी राइट @आराधना राय
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