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किस कि आहट को सुन कर वो चले आते है
ख़्वाब से हमारी आँखों में वो बसा कर जाते है
कोई साज़ -ओ -सामान नहीं साथ वो लाते है
दिल के आईने में बात कर के वो चले जाते है
कोई शिकवा नहीं मुझसे उनको ये बता जाते है
वो तस्वुर है मेरा मुझसे ही बात कर के जाते है
दिल के शहर के अफ़साने को बयां कर जाते है
तन्हा होते हुए भी अरु वो महफ़िल सजा जाते है
आराधना राय
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