इमेज़ साभार गुगल
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मिट्टी में दफ़न किसी की आहट थी
देखा तो वो भी चाहत किसी की थी
मासूम चेहरा कोई रवानी ढूढ़ता था
हवा का ज़हर भी उसी को सूँघता था
तमाशाई खुद कोई तमाशा देखता था
मौत का सामान जाने क्यू बेचता था
शहर में पसरा जाने क्यों ये सन्नाटा था
निशाने पर आज भी कत्ल होने वाला था
लूट कर चला गया क्यू मानने वाला था
हसरतों का जनाज़ा उठने ही ये वाला था
देखा सभी ने ये डोली अभी उठी ही तो थी
दुल्हन सी आग में वो बस जली ही तो थी
आराधना राय
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