- 1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू ।
- I write my English short story blog in http://
aradhanakissekahniyan. blogspot.in/and I write Hindi story as tulika and urdu nazm in devanagari script as a
आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे विरासत में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद
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