छाया चित्रकार शिखर राय
आँख का पानी कहु या मैं आँख का मोती
लहराये ये बिंदु जल जब आद्र हुआ मन
सपने थे तेर पर मेरी आँखों में है अब बंद
साँसो में धड़केगी यू ही ये सरगम हरदम
आँखों में लहराता है मधुरिम सागर हरदम
झिलमिल से सपनों पे पहरे है अब हरदम
आराधना राय
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