साभार गुगल इमेज़
बनता नहीं प्रेम कॉपी किताबों कि तरह
कोई रहता मौन मन में सितारे कि तरह
जहां खिली में बन के हरसिंगार कि तरह
वही सर्वस्व लुटाया था धरा कि ही तरह
क्यों बुझते है अनबुझ सी पहेली कि तरह
जब मैं ना थी किसी कि भी सहेली कि तरह
मान का कहां जब बिके समान कि ही तरह
कहे कैसे जब रहे हम बन के सज़ा कि तरह
आराधना राय
कहे कैसे जब रहे हम बन के सज़ा कि तरह
आराधना राय
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