जब बीत ही गया सावन
घन आया तो क्या आया
गई जब उम्र ही ये बीत
कोई भाया तो क्या भाया
जीवन भर अँधेरे में
भटकती रही व्याकुल
कोई दिया समाधी पर
घन आया तो क्या आया
गई जब उम्र ही ये बीत
कोई भाया तो क्या भाया
जीवन भर अँधेरे में
भटकती रही व्याकुल
कोई दिया समाधी पर
मेरी लाया तो क्या लाया
आराधना
आराधना
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