मेरे मीत आवाज़ तू देता है
ख़्वाब कि बात नहीं कहता है
सपनें से आँखों में टूट जाते है
किर्चियाँ चुभ कर रह जाती है
अश्क़ के साथ लहू मिलता है
दिल तो मोम सा पिधलता है
सपनों के साथ भी मिलता है
वक़्त जाने कैसे ये गुज़रता है
तुम से अहसास का रिश्ता है
ये थो दिल कि दिल से बात है
कॉपी राइट @आराधना राय
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