साभार गूगल इमेज
ज़िन्दगी ख्वाब के सहारे नहीं कटती है
दरिया सी बस कहीं बहती ही रहती है
मन कि किताब पर गीत नए लिखती है
सुनहले संसार के कुछ शब्द नए बुनती है
प्रीत ही हो जीवन बस ये ही कहाँ कहती है
आशा -निराशा के दोनों पल यही चुनती है
यथार्थ के मैदानों पर सपनों सी पलती है
आँखों कि किरकिरी बन कभी ये मिलती है
आराधना
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