साभार गुगल इमेज़
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सितारें ज़मीं पर ठहर गये होते,
तेरे पास ही कहीं रह गये होते
देखने वाले जो ठहर गये होते
नज़ारे जो नज़ारे रह गये होते
तुम्हे सोच कर जीते और मरते है
आसमां तेरे रंग मुझ ही में ढ़लते है
आराधना राय
तुम्हे सोच कर जीते और मरते है
आसमां तेरे रंग मुझ ही में ढ़लते है
आराधना राय
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